भजो रे मन हरी हरी मोहन मुरारी
मोहन मुरारी गोविन्द जी गिरिधारी
गोविन्द जी गिरिधारी, सकल दुःख हरी
हे भजो रे मन हरी हरी कृष्ण मुरारी
मोहन मुरारी गोविन्द जी गिरिधारी
गोविन्द अनमोल है गोपाल अनमोल
हरी हरी बोल, हरी हरी बोल,
भजो रे मन हरी हरी मोहन मुरारी
है भक्ति रस के प्यासे
तू भक्ति रस तो घोल
भजो रे मन हरी हरी मोहन मुरारी
मोहन को देखना है
तो अंतर के नैन खोल
हरी हरी बोल, हरी हरी बोल
भजो रे मन हरी हरी मोहन मुरारी
बकते है दीना नाथ, प्रेम भावना के मोल
हरी हरी बोल, हरी हरी बोल
भजो रे मन हरी हरी मोहन मुरारी
समझ न आये हमको,
एक सवारे सलोने के हम है पुजारी
एक विरिन्दावन के छोरे से हुई है अपनी यारी
भजो रे मन हरी हरी मोहन मुरारी
मोहन मुरारी गोविन्द जी गिरिधारी
कृष्ण मुरारी ओ कृष्ण मुरारी
कृष्ण मुरारी मेरा कृष्ण मुरारी
हे बाझो रे मन मेरे कृष्ण मुरारी
हरी कृष्ण हरी कृष्ण हरी हरी कृष्ण कृष्ण हरी हरी
हे भजो रे मन हरी हरी मुरारी...
हरी कृष्ण हरी कृष्ण हरी हरी
कृष्ण मुरारी कृष्ण मुरारी मेरो कृष्ण मुरारी
हे बाझो रे मन मेरे कृष्ण मुरारी
जय जय श्री कृष्ण
हे बाझो रे मन मेरे कृष्ण मुरारी
जय जय श्री कृष्ण
हे बाझो रे मन मेरे कृष्ण मुरारी
जय जय श्री कृष्ण
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